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How Good Bacteria Destroyed: अच्छे पाचन के लिए आंतों में गुड बैक्टीरिया का होना बहुत जरूरी है. लेकिन आजकल अधिकांश लोगों के पेट में गुड बैक्टीरिया खत्म होने लगे हैं. आखिर इसका क्या कारण है.
डॉक्टर ने बताया गुड बैक्टीरिया बढ़ाने का तरीका.
हाइलाइट्स
- पेट में मौजूद खरबों गुड बैक्टीरिया हमारे लिए बहुत जरूरी है.
- लेकिन गलत खान-पान की वजह से गुड बैक्टीरिया खत्म हो रहे हैं.
- गुड बैक्टीरिया कैसे बढ़ाएं इसके लिए यहां टिप्स जान लीजिए.
How Good Bacteria Destroyed: जिंदा रहने के लिए भोजन बहुत जरूरी है लेकिन भोजन को पचाकर शरीर का हिस्सा बनाने के लिए गुड बैक्टीरिया की उससे भी ज्यादा जरूरत होती है. हमारे पेट में खरबों गुड बैक्टीरिया रहते हैं. जब हम भोजन करते हैं तो यह आंतों में जाता है. आंतों में कई तरह के एंजाइम निकलते हैं. इन एंजाइम की मदद से गुड बैक्टीरिया इस भोजन को तोड़ते हैं जिससे भोजन पचता है और फिर शरीर का हिस्सा बनता है. लेकिन आजकल हमारा खान-पान और हमारी लाइफस्टाइल इतनी खराब हो चुकी है कि गुड बैक्टीरिया कम होने लगी है जिसकी वजह से पेट से संबंधित कई बीमारियों का खतरा ज्यादा होने लगता है. अमेरिका के हार्वर्ड हेल्थ यूनिवर्सिटी के डॉ. सौरभ सेठी ने बताया है कि कैसे हमारे पेट के गुड बैक्टीरिया कम होने लगते हैं.
गुड बैक्टीरिया खत्म होने के कारण
पेट में बैक्टीरिया कैसे बढ़ाएं
1. प्रोबायोटिक्स जादू नहीं – अक्सर कहा जाता है कि प्रोबायोटिक्स से पेट पर जादू की तरह असर होता है. इस बात में सच्चाई नहीं है. प्रोबायोटिक्स लेने से पेट की सेहत तुरंत ठीक नहीं होती. डॉ. शेठी ने बताया कि प्रोबायोटिक्स तभी काम करते हैं जब आप उन्हें फाइबर युक्त भोजन भी देते हैं. प्रोबायोटिक्स के कुछ अच्छे उदाहरण हैं दही, केफिर, किमची, पनीर, टेम्पेह, अचार, मिसो आदि. लेकिन इसके साथ अगर आप बेरीज जैसे कि ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, स्ट्रॉबेरी, ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, पत्ता गोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां या मक्के का सेवन करते हैं तभी फायदा होगा.
4. पेट की लाइनिंग बदल सकती है –डॉ. शेठी ने बताया कि पेट की परत या लाइनिंग हर 3-5 दिन में खुद को बदलती रहतीहै. लेकिन ऐसा तब संभव है जब उसे ठीक से पोषण मिले.आप इसे प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स दोनों को अपने आहार में शामिल करके कर सकते हैं. ये दो पोषक तत्व आपके आंत और सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी माने जा रहे हैं. प्रीबायोटिक्स में केला, हाथीचक, प्याज, चोकर, अलसी के बीज, एवोकाडो, सेब आदि प्रीबायोटिक्स के उदाहरण है.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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