Monday, June 2, 2025
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उम्र के हिसाब से जानें कितना पानी है जरूरी: पानी की कमी से हो सकती हैं गंभीर समस्याएं,जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय


2 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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गर्मियों में शरीर को पानी की जरूरत ज्यादा होती है क्योंकि तेज धूप और पसीने के जरिए काफी मात्रा में फ्लुइड्स बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में अगर पर्याप्त पानी न पिया जाए तो डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो डायरिया, लो ब्लड प्रेशर, चक्कर आना और बेहोशी जैसी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

यह एक गंभीर समस्या है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। भारत में यह और भी ज्यादा आम है क्योंकि यहां का मौसम अधिक गर्म और नम रहता है। चिंता की बात यह है कि बहुत से लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते और उन्हें यह एहसास ही नहीं होता कि वे धीरे-धीरे डिहाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं। हालांकि थोड़ी सी जागरूकता और नियमित पानी पीने की आदत से इसके खतरे से बचा जा सकता है।

तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम डिहाइड्रेशन के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

  • शरीर में पानी की कमी के क्या लक्षण हैं?
  • डिहाइड्रेशन से कैसे बचा जा सकता है?

डिहाइड्रेशन क्या है?

शरीर में पानी की कमी होने को डिहाइड्रेशन कहते हैं। यह समस्या आमतौर पर तेज धूप में अधिक समय बिताने, बहुत ज्यादा पसीना आने, बुखार, दस्त या उल्टी होने पर हो सकती है। इसके अलावा अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते या कोई ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिससे बार-बार पेशाब आता है तो भी डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ सकता है।

शरीर में पानी का काम

शरीर में पानी के अनगिनत काम हैं। यह शरीर के तापमान को कंट्रोल करने में मदद करता है। साथ ही यह यूरिन और पसीने के जरिए शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इतना ही नहीं यह हमारे खाने को पचाने में भी एक बड़ी भूमिका निभाता है। पानी हमारे शरीर के अंगों और टिश्यू को नम रखकर उन्हें प्रोटेक्ट करता है। इसके अलावा शरीर में पानी के और भी कुछ काम हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

शरीर के हर हिस्से में होता पानी

एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लगभग 60-70% तक पानी होता है, जबकि नवजात शिशुओं में यह करीब 75-80% तक होता है। शरीर के सभी हिस्सों में पानी मौजूद होता है, लेकिन कुछ अंगों में इसकी मात्रा अधिक होती है। ब्रेन और लिवर में पानी की मात्रा सबसे ज्यादा होती है, जबकि हड्डियों और दांतों में इसका प्रतिशत सबसे कम होता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

डिहाइड्रेशन का कारण

अक्सर बिजी लाइफस्टाइल या पानी पीने की आदत न होने के कारण लोग दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी पाते। तेज गर्मी, बुखार, उल्टी, दस्त या हार्ड फिजिकल एक्टिविटी से शरीर से बहुत अधिक पसीना और इलेक्ट्रोलाइट्स निकलते हैं। अगर इसकी भरपाई समय पर न हो तो भी डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके अलावा लिवर डिजीज, डायबिटीज जैसी बीमारियां, कुछ दवाओं का सेवन, ज्यादा कैफीन या अल्कोहल लेना भी शरीर में पानी की कमी का कारण बन सकते हैं।

डिहाइड्रेशन के संकेत

डिहाइड्रेशन के लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर में पानी की कमी कितनी है। सबसे आम लक्षणों में बार-बार प्यास लगना, मुंह सूखना, कम मात्रा में पेशाब आना और यूरिन का रंग गहरा पीला होना शामिल है।

इसके साथ ही थकान, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन और मल त्याग में परेशानी जैसे संकेत भी दिख सकते हैं। कुछ गंभीर लक्षणों में हार्ट रेट और सांस का तेज होना, स्किन ड्राई हो जाना, आंखों का धंस जाना, ब्लड प्रेशर कम होना और कभी-कभी बेहोशी आना भी शामिल है।

डिहाइड्रेशन का इलाज

डिहाइड्रेशन का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। हल्के या मीडियम डिहाइड्रेशन का इलाज आमतौर पर घर पर ही संभव होता है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) लेना शामिल है। ORS में पानी, नमक और ग्लूकोज का संतुलित मिश्रण होता है, जो शरीर में खोए हुए इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करता है।

अगर डिहाइड्रेशन गंभीर हो जाए तो व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कर इंट्रावेनस (IV) फ्लुइड्स दिए जाते हैं ताकि शरीर को जल्दी हाइड्रेट किया जा सके। अगर डिहाइड्रेशन किसी बीमारी जैसे उल्टी, दस्त, या बुखार की वजह से हुआ हो तो डॉक्टर उसका इलाज करते हैं।

डिहाइड्रेशन से बचाव के तरीके

डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए प्यास लगने तक इंतजार न करें, बल्कि दिनभर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। साथ ही पानी से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें। गर्मियों में पसीना अधिक निकलता है, इसलिए पानी की मात्रा बढ़ाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

किस उम्र के व्यक्ति को कितने पानी की होती है जरूरत

यह पूरी तरह व्यक्ति की उम्र, लिंग, फिजिकल एक्टिविटी और जलवायु जैसे कारकों पर निर्भर है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन (NASEM) के मुताबिक, औसतन महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 2.7 लीटर और पुरुषों को लगभग 3.7 लीटर पानी पीना चाहिए। हालांकि यह मात्रा व्यक्ति के वजन, हेल्थ कंडीशन और वातावरण के अनुसार बदल सकती है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए-

डिहाइड्रेशन से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब

सवाल- किन लोगों को डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है?

जवाब- बच्चों में डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे अपनी प्यास के बारे में बता नहीं पाते हैं। वहीं बुजुर्गों में उम्र के साथ प्यास लगने की क्षमता कम हो जाती है, इसलिए वे पर्याप्त पानी नहीं पी पाते हैं। साथ ही उनकी किडनी पानी को ज्यादा समय तक स्टोर नहीं कर पाती है। इसके अलावा अधिक ऊंचाई पर रहने वालों को भी डिहाइड्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।

सवाल- डिहाइड्रेशन में कब डॉक्टर के पास जाना चाहिए?

जवाब- यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिहाइड्रेशन कितना गंभीर है। जब व्यक्ति बहुत सुस्त हो, बेहोशी आ रही हाे, नाड़ी या सांस बहुत तेज चल रही हो, ऐसी स्थिति में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। शिशुओं और छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन ज्यादा तेजी से गंभीर हो सकता है, इसलिए लक्षणों पर तुरंत ध्यान दें।

सवाल- गर्मियों में किन खाद्य पदार्थों से पानी की पूर्ति होती है?

जवाब- इनमें मुख्य रूप से फल जैसे तरबूज, खरबूज, ककड़ी, बेल, आम, संतरा आदि शामिल हैं। साथ ही सब्जियों में खीरा, पालक और अन्य पत्तेदार सब्जियां, लौकी आदि फायदेमंद होती हैं। इसके अलावा नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, सत्तू का शरबत और ताजे फलों के जूस जैसे ड्रिंक्स भी हाइड्रेटेड रखने में मदद करते हैं।

सवाल- पानी पीने का सही तरीका क्या है?

जवाब- पानी कभी भी एकाएक झटके से नहीं, बल्कि धीरे-धीरे घूंट-घूंट करके आराम से पीना चाहिए। इससे मुंह में मौजूद एमाइलेज जैसे एंजाइम भी पेट तक पहुंचते हैं, जो पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाते हैं। सुबह खाली पेट पानी पीना फायदेमंद होता है। खाना खाने के लगभग एक घंटे पहले या बाद में पानी पीना चाहिए। इसके अलावा खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे जोड़ों में दर्द हो सकता है और किडनी पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

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