Iran-Israel War Effects on India: ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर इजरायल की ओर से अचानक किए गए एयरस्ट्राइक्स के कारण दुनियाभर के ऊर्जा बाजार पूरी तरह से हिल गए हैं. इजरायल के हमले के कारण पश्चिम एशिया (मिडिल ईस्ट) में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. इन दोनों देशों के बीच संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से उछाल आया है. वहीं, इजरायल-ईरान युद्ध का भारत पर काफी असर देखने को मिल सकता है.
ईरान-इजरायल युद्ध का असर भारत के कच्चे तेल की आपूर्ति और आर्थिक विकास पर पड़ेगा. यह संघर्ष क्षेत्रीय शांति, स्थिरता, आर्थिक वृद्धि और विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है. अगर निकट भविष्य में प्रभाव की बात करें तो संघर्ष का शॉर्ट टर्म में अर्थव्यवस्था पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा; हालांकि अगर युद्ध लंबा खिंचा तो मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
अगर युद्ध लंबे समय तक हुआ तो क्या होगा असर?
अगर ईरान और इजरायल के बीच युद्ध लंबे समय तक चला तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इससे भारत के निर्यात पर भी असर पड़ सकता है. वहीं, निर्यात में मंदी से भारत की पहले से ही तनावग्रस्त मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि पर असर पड़ेगा.
कच्चे तेल की कीमत में आएगा उछाल
इजरायल और ईरान के बीच किसी भी संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल सकती है. भारत का तेल आयात बिल 2024-25 में 20.6 लाख करोड़ रुपये है. लेकिन युद्ध के लंबे समय तक चलने से कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी और भारत का खर्च भी बढ़ेगा.
रुपये का मुकाबले डॉलर का मूल्य बढ़ेगा
तेल की कीमतों में वृद्धि से रुपये में गिरावट आती है क्योंकि उच्च आयात बिल से अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ती है और डॉलर के मूल्य में वृद्धि से भारत का आयात खर्च बढ़ेगा. अगर तेल की बढ़ती कीमतों को उत्पाद शुल्क में कटौती के जरिए नियंत्रित किया जाता है, तो इससे सरकारी राजस्व पर असर पड़ेगा.
भारतीय प्रवासियों पर कैसे पड़ेगा असर
ईरान-इजरायल युद्ध के कारण खाड़ी क्षेत्र में रहने वाले बड़े भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा पर उथल-पुथल का असर पड़ेगा. खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में भारतीय प्रवासी आबादी 90 लाख से ज्यादा है. खाड़ी में रहने वाले अति-धनी व्यक्तियों की संख्या के मामले में भी भारत सबसे आगे है. इससे वहां भारतीय हितों (प्रवासी, व्यापार, निवेश) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
व्यापार पर भी पड़ेगा असर
खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) भारत का सबसे बड़ा क्षेत्रीय-ब्लॉक व्यापारिक साझेदार है. वित्त वर्ष 2022-23 में जीसीसी के साथ व्यापार भारत के कुल व्यापार का लगभग 16% था. 2023-24 में कुल व्यापार लगभग 14.4 लाख करोड़ रुपये था.
भारतीयों की ओर से स्वदेश भेजी गई धनराशि में होगी कमी
साल 2024 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों की ओर से भारत में लगभग 10.7 लाख करोड़ रुपये भेजा गया था. भारतीयों की ओर से भेजे गए कुल धन का एक तिहाई लगभग 3.6 लाख करोड़ रुपये मध्य पूर्व देशों से आता है. मिडिल ईस्ट में संघर्ष से इस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और साथ ही वहां भारतीयों की नौकरियों की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा.