Friday, June 27, 2025
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पेरेंटिंग- बेटा देर रात गर्लफ्रेंड से बातें करता है: पढ़ाई में मन नहीं लगता, 15 साल की उम्र में ये सब ठीक नहीं, उसे कैसे समझाएं


7 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल

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सवाल- मैं पानीपत का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 41 साल है। मेरा बेटा 15 साल का है। वो हमेशा से पढ़ाई में बहुत अच्छा रहा है। कभी किसी गलत संगत में नहीं रहा, कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हमें परेशानी हो। जिस तरह से हमने अपने बेटे की परवरिश की है, हमें उस पर बहुत गर्व भी है। अभी कुछ दिन पहले उसका नौवीं का रिजल्ट आया, लेकिन हमेशा की तरह इस बार उसने क्लास में टॉप नहीं किया। सभी सब्जेक्ट्स में नंबर भी कम आए हैं। अगले साल उसका बोर्ड है और हमें लग रहा है कि उसका ध्यान पढ़ाई से उचट रहा है।

हालांकि पूछने पर वो हमेशा इनकार करता है, लेकिन हमें ऐसा फील हो रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है। हमें पता चला है कि वो हमारे सोने के बाद आधी-आधी रात तक लैंडलाइन फोन पर किसी से बातें करता है, क्योंकि हमने उसे अभी तक मोबाइल फोन नहीं दिलाया है। शायद वो किसी लड़की से बातें करता है। पूछने पर टाल देता है। हम दोनों को लगता है कि अभी ये सब करने की उसकी उम्र नहीं है, लेकिन हम उसे समझाएं कैसे, ये नहीं समझ पा रहे हैं।

एक्सपर्ट: रिद्धि दोषी पटेल, चाइल्ड एंड पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट, मुंबई

जवाब- आपकी चिंताएं स्वाभाविक हैं। एक माता-पिता के तौर पर अपने बच्चे के बदलते व्यवहार को लेकर फिक्र होना लाजिमी है, खासकर जब वह टीन एज में है। लेकिन आपने जो वाक्य लिखा कि ये सब करने की उसकी उम्र नहीं है। यहां आपको थोड़ा समझने की जरूरत है।

दरअसल हम सांस्कृतिक कारणों से अक्सर इस बात को समझने में चूक जाते हैं कि भले ही यह उम्र इन सब चीजों को करने की न हो। लेकिन इसे महसूस करने की यही उम्र होती है। ऐसे में अगर आपके बेटे की लड़कियों से दोस्ती हो रही है, वह उनसे बातें कर रहा है या उनके प्रति आकर्षित हो रहा है तो आप ये समझिए कि ये बहुत ही स्वाभाविक है।

हालांकि ये बात अलग है कि इस उम्र में बच्चों का दिमाग इतना विकसित नहीं हुआ होता है कि वह ये संतुलन बना पाएं कि उनकी दोस्ती भी ठीक है और आकर्षित होना भी ठीक है। लेकिन इसका असर पढ़ाई व जीवन के दूसरे जरूरी कामों पर नहीं पड़ना चाहिए। ये संतुलन देना, ये समझदारी देना ही पेरेंट्स का काम है।

टीन एज में बच्चों में होते कई सारे बदलाव

यहां ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि टीन एज में बच्चों में कई तरह के बदलाव भी होते हैं। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीन एज बहुत ही नाजुक उम्र होती है। इस दौरान बच्चों में कई तरह के हॉर्मोनल और फिजिकल बदलाव होते हैं। जैसेकि-

यहां समझने वाली बात ये है कि इन बदलावों को बच्चे के निजी व्यवहार से जोड़कर न देखें, बल्कि इसे साइंटिफिक तरीके से देखें कि बच्चे में हॉर्मोनल चेजेंस हो रहे हैं। इतने सारे फिजिकल और इमोशनल बदलावों को एक साथ समझना और उसे बैलेंस करना हर बच्चे के लिए आसान नहीं होता है।

बच्चे के साथ रखें दोस्ताना रिश्ता

आप यहां एक बात नोटिस कीजिए कि जब आपने अपने बेटे से इस विषय पर बात करने की कोशिश की तो उसने टाल दिया। इसका मतलब है कि उसके मन में कहीं-न-कहीं ये धारणा बन गई है कि वह इस तरह की बातें अपने पेरेंट्स से साझा नहीं कर सकता क्योंकि उसे इस बात का डर है कि डांट पड़ेगी या जज किया जाएगा।

जबकि होना यह चाहिए कि आप उसके सबसे अच्छे दोस्त बनें, ताकि वह अपने जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात आपसे बेझिझक शेयर कर सके।

देखिए, आप अगर चाहते हैं कि आपका बेटा अपनी गर्लफ्रेंड व दोस्त के बारे में आपको खुलकर बताए और उसके जीवन में क्या कुछ हो रहा है, उसका हिस्सा आप भी हों। इसके लिए सबसे जरूरी है कि बच्चे के अंदर ये डर न हो कि मम्मी-पापा डाटेंगे, जज करेंगे या उन्हें बुरा लगेगा। जब तक कि उसको यकीन नहीं होगा कि वह एक्सेप्टेड है और सबकुछ ठीक है, तब तक वह खुलकर बात नहीं करेगा।

यहां आपको बच्चे को वह खुलापन देने की जरूरत है। उससे दोस्ती करें, उससे खुलकर बातें करें। उसको बताएं कि बेटा ये बहुत स्वाभाविक है।

याद करें, आप इस उम्र में कैसे थे

आप कभी-कभार हंसी-मजाक में या खेल-खेल में अपनी टीन एज के समय की कुछ हल्की-फुल्की बातें उसके साथ शेयर कर सकते हैं। बच्चे को यह महसूस होना चाहिए कि जो कुछ वह आज महसूस कर रहा है, वैसा ही लगभग हर कोई अपनी उम्र में महसूस करता है। उसे यह समझ में आना चाहिए कि उसकी भावनाएं असामान्य नहीं हैं।

इसके लिए जरूरी है कि आप खुद अपने अनुभव साझा करें। अभी आप मैच्योर हैं, अभी आप बहुत सोच-समझकर फैसले लेते हैं। लेकिन 13-14 साल की उम्र में तो नहीं लेते थे ना, तो आपका बच्चा भी वैसा है, जैसे आप खुद थे। जब आप खुद को उसके जैसी स्थिति में दिखाएंगे तो बच्चा आपसे ज्यादा रिलेट करेगा और आपके साथ खुलकर बात करने में सहज महसूस करेगा।

बच्चे को सुधारने से पहले खुद में करें बदलाव

इसलिए सबसे पहले खुद को यह भरोसा दिलाएं कि बच्चे के जीवन में जो कुछ भी हो रहा है, वह स्वाभाविक है और उसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह सही है कि आपका बच्चा आपसे खुलकर बात नहीं कर रहा। लेकिन इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि उसे अब तक वह भरोसा, वह सुरक्षित माहौल नहीं मिला, जिसमें वह बिना डर या झिझक के अपनी बात कह सके।

ऐसे में जरूरी है कि आप खुद में थोड़े बदलाव लाएं। जब आप अपने व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाएंगे तो बच्चे का भी व्यवहार बदलेगा, चाहे वो पढ़ाई को लेकर हो या आपके साथ उसके रिश्ते को लेकर। पेरेंटिंग की जड़ आप हैं, इसलिए बदलाव की शुरुआत भी आपसे ही होनी चाहिए। इसके लिए कुछ बातें ध्यान रखें।

शांत और खुले मन से बातचीत शुरू करें

अपने अंदर बदलाव लाने के साथ ही बच्चे से बातचीत करना भी जरूरी है। आप इस तरह से बात की शुरुआत कर सकते हैं कि ‘बेटा, हम तुम्हें हमेशा पढ़ाई में अच्छा करते हुए देखते आए हैं। लेकिन इस बार रिजल्ट थोड़ा अलग आया तो हमें थोड़ी चिंता हो रही है। क्या तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है, जो हमसे छुपा रहे हो?’ उसे यह महसूस कराएं कि आप उसकी बात सुनना और समझना चाहते हैं, न कि सिर्फ उसे डांटना या रोकना।

रात में फोन पर बात करने के मुद्दे को धीरे से उठाएं

सीधे आरोप लगाने की बजाय अपनी चिंता शेयर करते हए आप उससे पूछ सकते हैं कि ’बेटा, हमें पता चला है कि रात में देर तक लैंडलाइन पर बातें होती हैं। हम जानते हैं कि अभी तुम्हारे पास अपना फोन नहीं है। लेकिन रात का समय आराम करने और पढ़ाई करने का होता है। क्या सब ठीक है?’

आप ऐसे भी पूछ सकते हैं कि ‘हमें लग रहा है कि आजकल तुम थोड़ा अलग रह रहे हो। क्या तुम्हारी जिंदगी में कुछ नया चल रहा है, जिसके बारे में तुम हमें बताना चाहोगे?’ उसके जवाब को धैर्य के साथ सुनें। हो सकता है वह डर रहा हो या उसे लग रहा हो कि आप उसे गलत समझेंगे। ऐसे में उसे अपनी बात कहने का मौका दें।

बच्चे को पढ़ाई की अहमियत बताएं

उसे बताएं कि आप उसकी भावनाओं को समझते हैं और इस उम्र में आकर्षण होना स्वाभाविक है, लेकिन अभी उसकी प्राथमिकता पढ़ाई होनी चाहिए। उसे समझाएं कि इस समय पढ़ाई पर ध्यान देना उसके भविष्य के लिए कितना जरूरी है।

उसे बताएं कि रिश्ते अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हर चीज का एक सही समय होता है। अभी उसकी उम्र पढ़ाई और करियर पर ध्यान देने की है।

टीन एज बच्चे की पेरेंटिंग में इन गलतियों से बचें

अक्सर पेरेंट्स बच्चे की परवरिश में जाने-अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चों को उनसे और भी ज्यादा दूर कर सकती हैं। इस उम्र में बच्चा भावनात्मक रूप से बहुत संवेदनशील होता है।

ऐसे में अगर पेरेंट्स बार-बार उस पर रोक-टोक लगाते हैं, उसकी तुलना करते हैं या उस पर गुस्सा करते हैं तो उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि उसे कंट्रोल करने की बजाय गाइड करें। टीन एज बच्चे की पेरेंटिंग में इन 8 गलतियों से बचना जरूरी है।

अंत में यही कहूंगी कि टीन एज में अपोजिट लिंग के प्रति आकर्षण महसूस होना एक सामान्य प्रक्रिया है। इस स्थिति को ‘गलत’ मानने की बजाय बच्चे को सही मार्गदर्शन दें।

याद रखें पेरेंटिंग में बदलाव पहले पेरेंट्स से ही शुरू होता है। जब आप समझदारी से प्रतिक्रिया देंगे तो बच्चा भी जिम्मेदारी से व्यवहार करना सीखेगा।

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