तमिलनाडु में आगामी चुनावों ने राज्य की राजनीतिक परिदृश्य को गरमा दिया है। द्रविड़ राजनीति के गढ़ में क्षेत्रीय पार्टियाँ जैसे डीएमके (DMK) और एआईएडीएमके (AIADMK) के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है, जबकि अन्य छोटे दल और राष्ट्रीय पार्टियाँ भी अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही हैं।
प्रमुख राजनीतिक दलों की स्थिति:
- DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम):
- मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में DMK राज्य की सत्ता बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।
- पार्टी का फोकस कल्याणकारी योजनाओं, सामाजिक न्याय, और तमिल पहचान पर है।
- DMK ने अपनी योजनाओं जैसे पेंशन स्कीम, स्वास्थ्य सेवाएँ और शिक्षा सुधार को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है।
- AIADMK (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम):
- विपक्ष में बैठी AIADMK, ई. पलानीस्वामी और ओ. पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में सरकार को चुनौती देने की कोशिश कर रही है।
- पार्टी का फोकस पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के कार्यकाल की नीतियों को आगे बढ़ाते हुए जनता के विश्वास को फिर से हासिल करना है।
- AIADMK किसान कल्याण, महिला सुरक्षा, और बुनियादी ढाँचे के विकास पर जोर दे रही है।
- भाजपा (BJP):
- बीजेपी राज्य में दक्षिण विस्तार के एजेंडे के साथ DMK और AIADMK के मुकाबले एक तीसरी ताकत के रूप में उभरना चाहती है।
- प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और राष्ट्रीय विकास योजनाओं को भुनाने की रणनीति है।
- हिंदुत्व एजेंडा और आर्थिक विकास पार्टी के प्रमुख मुद्दे होंगे।
- कांग्रेस:
- कांग्रेस DMK के साथ गठबंधन में है और तमिलनाडु के मतदाताओं को राष्ट्रीय एकता और विकास के मुद्दों पर जोड़ने की कोशिश कर रही है।
- पार्टी का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन और सामाजिक योजनाओं पर है।
- अन्य क्षेत्रीय दल:
- वी.सी.के (विदुथलाई चिरुथैगल काची) और एमएनएम (मक्कल निधि मय्यम) जैसे दल भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं।
- छोटे दल स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों के जरिए चुनावी गणित को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनावी मुद्दे:
- सामाजिक न्याय और आरक्षण:
- DMK ने तमिलनाडु की सामाजिक न्याय परंपरा को मुख्य मुद्दा बनाया है।
- आर्थिक विकास:
- AIADMK और BJP ने राज्य में औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन पर जोर दिया है।
- कल्याणकारी योजनाएँ:
- मुफ्त राशन, शिक्षा सुधार, स्वास्थ्य सुविधाएँ, और गरीबों के लिए पेंशन योजनाएँ केंद्र में हैं।
- तमिल पहचान और भाषा का मुद्दा:
- तमिलनाडु की राजनीति में तमिल संस्कृति और भाषा हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है, जिसे DMK भुना रही है।
- किसान और ग्रामीण विकास:
- कृषि संकट, बिजली सब्सिडी और ग्रामीण सड़कों के विकास पर पार्टियाँ वोटरों को लुभा रही हैं।
DMK बनाम AIADMK का मुकाबला:
- DMK: सत्ता में बने रहने के लिए अपने मजबूत जनाधार और स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है।
- AIADMK: राज्य के विकास कार्यों और पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के नाम पर वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
बीजेपी और अन्य दलों की भूमिका:
- बीजेपी, जो राज्य में एक उभरती ताकत के रूप में देखी जा रही है, हिंदुत्व एजेंडा और केंद्र की योजनाओं को भुनाने की कोशिश कर रही है।
- अन्य छोटे दलों का प्रदर्शन वोट बंटवारे में अहम भूमिका निभा सकता है और यह AIADMK और DMK के लिए चुनौती बन सकता है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का विश्लेषण:
विशेषज्ञों का कहना है:
“तमिलनाडु में DMK और AIADMK के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन बीजेपी और छोटे दलों की मौजूदगी वोट बंटवारे में बड़ा अंतर ला सकती है। जातीय समीकरण, कल्याणकारी योजनाएँ, और तमिल पहचान जैसे मुद्दे चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेंगे।”
निष्कर्ष:
तमिलनाडु में आगामी चुनाव DMK और AIADMK के बीच कड़ी टक्कर का संकेत दे रहे हैं। बीजेपी और अन्य क्षेत्रीय दलों की बढ़ती सक्रियता ने राज्य की राजनीति में नए समीकरण पैदा किए हैं। चुनावी नतीजों पर जनता के स्थानीय मुद्दे, कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता और तमिल पहचान का मुद्दा गहरा असर डालेगा।