श्रीलंका ने हाल ही में भारत को आश्वासन दिया है कि उसके क्षेत्र का उपयोग भारत की सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं किया जाएगा। यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनयिक और सामरिक संबंधों का प्रतीक है। श्रीलंका की यह गारंटी क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
प्रमुख बिंदु:
- बयान का संदर्भ:
- श्रीलंका के राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने हालिया बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह आश्वासन दिया।
- दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की।
- भारत की चिंता:
- भारत की सुरक्षा के संदर्भ में श्रीलंका का भू-रणनीतिक (geo-strategic) महत्व बहुत अधिक है।
- चीन की बढ़ती मौजूदगी और हम्बनटोटा बंदरगाह के उपयोग से भारत को पहले भी चिंता रही है।
- श्रीलंका का रुख:
- श्रीलंका ने स्पष्ट किया कि वह भारत के सुरक्षा हितों का सम्मान करता है और किसी भी विदेशी शक्ति को अपनी जमीन का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।
- यह बयान श्रीलंका की भारत के साथ कूटनीतिक और सामरिक साझेदारी को दर्शाता है।
भारत-श्रीलंका संबंधों का महत्व:
- भू-रणनीतिक स्थिति:
- श्रीलंका की स्थिति हिंद महासागर में महत्वपूर्ण है और यह क्षेत्रीय व्यापार और सुरक्षा के लिए केंद्रबिंदु है।
- चीन की गतिविधियाँ:
- श्रीलंका में चीन के बढ़ते निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (जैसे हम्बनटोटा पोर्ट और कोलंबो पोर्ट सिटी) भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
- आर्थिक सहयोग:
- भारत श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और प्रमुख निवेशक है।
- भारत ने श्रीलंका की आर्थिक संकट के दौरान कई वित्तीय पैकेज और कर्ज राहत प्रदान की।
- सुरक्षा और समुद्री सहयोग:
- दोनों देश नौसैनिक सहयोग और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में लगातार सहयोग कर रहे हैं।
- श्रीलंका का यह आश्वासन समुद्री सीमाओं पर भारत के सुरक्षा हितों को सुरक्षित रखने में सहायक होगा।
श्रीलंका का बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
- चीन की बढ़ती सक्रियता:
- चीन द्वारा हिंद महासागर में “स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स” रणनीति के तहत बंदरगाहों और परियोजनाओं पर निवेश किया जा रहा है।
- श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीन की 99 साल की लीज़ भारत के लिए एक सुरक्षा चुनौती बन सकती थी।
- क्षेत्रीय स्थिरता:
- श्रीलंका का भारत को यह गारंटी देना हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- कूटनीतिक सफलता:
- श्रीलंका के इस बयान को भारत की कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जो उसके पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संबंधों का नतीजा है।
प्रधानमंत्री मोदी का रुख:
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
“भारत और श्रीलंका के संबंध केवल भौगोलिक निकटता के कारण नहीं हैं, बल्कि ये ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आपसी विश्वास पर आधारित हैं।”
निष्कर्ष:
श्रीलंका द्वारा भारत को दिए गए इस आश्वासन से दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को नई मजबूती मिली है। यह कदम क्षेत्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, और कूटनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और श्रीलंका का यह मजबूत रिश्ता हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और विकास को बढ़ावा देगा।
“भारत-श्रीलंका की दोस्ती और सहयोग एक नई ऊँचाई की ओर बढ़ रहा है।”