Friday, January 17, 2025
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India and Japan Forge Stronger Defence Ties with New Agreement

भारत और जापान ने हाल ही में रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस नई साझेदारी का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिरता को बढ़ावा देना और दोनों देशों के सामरिक हितों को एक नई दिशा देना है। यह समझौता भारत-जापान के बीच बढ़ते रणनीतिक और सैन्य सहयोग का संकेत है।


समझौते के मुख्य बिंदु:

  1. रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग
    • भारत और जापान ने रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन और तकनीकी साझेदारी पर सहमति व्यक्त की है।
    • अत्याधुनिक तकनीक जैसे ड्रोन्स, मिसाइल डिफेंस सिस्टम, और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाया जाएगा।
  2. साझा सैन्य अभ्यास
    • दोनों देशों की सेनाओं के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की आवृत्ति बढ़ाई जाएगी।
    • “धर्म गार्जियन” और “जापान-इंडिया मेरीटाइम एक्सरसाइज (JIMEX)” जैसे मौजूदा अभ्यासों को और व्यापक बनाया जाएगा।
  3. साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष सहयोग
    • साइबर खतरों से निपटने के लिए दोनों देश साइबर सुरक्षा में एक-दूसरे के साथ इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी साझा करेंगे।
    • अंतरिक्ष क्षेत्र में सैटेलाइट आधारित निगरानी और रक्षा संचार में भी साझेदारी होगी।
  4. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा
    • समझौते का एक मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना है।
    • चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को संतुलित करने के लिए दोनों देश रणनीतिक रूप से साथ काम करेंगे।

रणनीतिक महत्व:

1. चीन के प्रभाव का मुकाबला

  • भारत और जापान का यह सहयोग चीन की आक्रामक नीतियों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसके बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाने के लिए अहम है।
  • दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में नौसैनिक सहयोग को मजबूत किया जाएगा।

2. क्वाड (QUAD) की मजबूती

  • यह समझौता QUAD (अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया) की सुरक्षा साझेदारी को और सशक्त बनाएगा।
  • क्वाड के तहत क्षेत्रीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन में भारत-जापान की भूमिका बढ़ेगी।

3. आत्मनिर्भर भारत (Make in India)

  • रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन के माध्यम से भारत के “मेक इन इंडिया” अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
  • इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं में सुधार होगा।

4. क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिरता

  • यह समझौता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के छोटे देशों को सुरक्षा आश्वासन प्रदान करेगा और क्षेत्रीय स्थिरता को मजबूत करेगा।

दोनों देशों के नेताओं की प्रतिक्रिया:

  • भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा:
    “यह समझौता भारत-जापान के दीर्घकालिक संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा और क्षेत्रीय शांति में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”
  • जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा:
    “भारत के साथ हमारा रक्षा सहयोग इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने में सहायक होगा।”

चुनौतियां और आगे की राह:

  1. चीन की प्रतिक्रिया:
    • चीन इस साझेदारी को अपने लिए खतरा मान सकता है और क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की संभावना है।
  2. तकनीकी और लॉजिस्टिक समन्वय:
    • रक्षा उत्पादन और सैन्य अभ्यास में समन्वय की चुनौतियों को दूर करना आवश्यक होगा।
  3. व्यापक आर्थिक निवेश:
    • दोनों देशों को रक्षा सहयोग के लिए पर्याप्त आर्थिक निवेश और तकनीकी आदान-प्रदान सुनिश्चित करना होगा।

निष्कर्ष:

भारत और जापान के बीच यह रक्षा समझौता दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है। यह न केवल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा बल्कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति में भारत और जापान की भूमिका को भी सशक्त करेगा।


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