भारत तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य और नई भू-राजनीतिक चुनौतियों के बीच अपनी विदेश नीति को पुनर्परिभाषित कर रहा है। उभरते वैश्विक गठबंधनों और बदलती आर्थिक व सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, भारत की कूटनीतिक रणनीति अधिक संतुलित, व्यावहारिक और मल्टी-एलाइन्मेंट पर आधारित हो रही है।
भारत की विदेश नीति में प्रमुख बदलाव
1. बहुपक्षीय कूटनीति (Multi-Alignment Strategy)
- भारत अब किसी एक ध्रुव (जैसे अमेरिका या रूस) पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय बहुपक्षीय सहयोग की नीति अपना रहा है।
- नई वैश्विक शक्तियों जैसे क्वाड (QUAD), ब्रिक्स (BRICS), और I2U2 के साथ सक्रिय भागीदारी कर रहा है।
- यह रणनीति भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक मजबूत खिलाड़ी बनने में मदद कर रही है।
2. क्वाड (QUAD) में भूमिका
- अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के गठबंधन QUAD के जरिए भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
- सुरक्षा, समुद्री सहयोग, तकनीकी विकास और सप्लाई चेन को मजबूत करने पर फोकस है।
3. रूस के साथ संतुलन
- भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंधों को भारत कायम रखे हुए है।
- हालिया रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत ने एक तटस्थ रुख अपनाते हुए रूस के साथ ऊर्जा, रक्षा और व्यापार सहयोग जारी रखा है।
- भारत के इस कदम को रणनीतिक स्वायत्तता के रूप में देखा जा रहा है।
4. पश्चिम एशिया में नई साझेदारी (I2U2)
- भारत, इजरायल, अमेरिका और UAE के गठबंधन I2U2 के माध्यम से पश्चिम एशिया में नई आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा दे रहा है।
- इसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, जल संसाधन, ऊर्जा सहयोग और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को मजबूत करना है।
5. ब्रिक्स (BRICS) का विस्तार
- ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) में भारत की भूमिका आर्थिक और वैश्विक मुद्दों पर विकासशील देशों का नेतृत्व करने की है।
- भारत अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर एक नई वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का समर्थन कर रहा है।
भारत की नई विदेश नीति के प्रमुख स्तंभ
- रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy):
- भारत अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र और व्यावहारिक बनाए रखते हुए, किसी भी देश या गठबंधन पर अत्यधिक निर्भरता से बच रहा है।
- इकोनॉमिक डिप्लोमेसी:
- भारत व्यापार समझौतों, FDI और वैश्विक सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए नई नीतियों को अपना रहा है।
- उदाहरण: UAE और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों को बढ़ावा देना।
- सुरक्षा और रक्षा सहयोग:
- भारत अपने रक्षा संबंधों को अमेरिका, फ्रांस, रूस और अन्य देशों के साथ मजबूत कर रहा है।
- मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
- प्राकृतिक संसाधन और ऊर्जा सुरक्षा:
- भारत खाड़ी देशों, रूस और अफ्रीकी देशों के साथ ऊर्जा साझेदारी को मजबूत कर रहा है।
- ग्रीन एनर्जी और हाइड्रोजन परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
भारत-चीन संबंध और चुनौतियां
- चीन के साथ सीमा विवाद और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा भारत की विदेश नीति के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
- भारत “चीन-प्लस-वन” रणनीति के तहत दक्षिण एशिया और ASEAN देशों के साथ अपने आर्थिक संबंध मजबूत कर रहा है।
वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भूमिका
- G20 अध्यक्षता:
- भारत की G20 की अध्यक्षता ने उसे वैश्विक आर्थिक नीति में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का अवसर दिया है।
- संयुक्त राष्ट्र में सुधार:
- भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए सुधारों की वकालत कर रहा है।
- COP सम्मेलनों में योगदान:
- भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभा रहा है और 2030 नेट-ज़ीरो लक्ष्य पर फोकस कर रहा है।
निष्कर्ष:
भारत की नई विदेश नीति व्यवहारिक, बहुआयामी और संतुलित दृष्टिकोण पर आधारित है। उभरते वैश्विक गठबंधनों के साथ क्वाड, I2U2, और ब्रिक्स जैसी भागीदारी भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर रही है। भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए आर्थिक सहयोग, सुरक्षा रणनीति और वैश्विक नेतृत्व में महत्वपूर्ण प्रगति की है।