आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य में पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य रसायन मुक्त खेती, जैविक खेती, और सतत कृषि को प्रोत्साहित कर किसानों की आय में वृद्धि करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
योजना के मुख्य बिंदु
1. प्राकृतिक कृषि (Natural Farming) को बढ़ावा
- राज्य सरकार रसायन मुक्त खेती (Zero-Budget Natural Farming) को प्रोत्साहित करेगी।
- किसानों को जैविक उर्वरक, जैविक कीटनाशक और पारंपरिक बीजों के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी।
2. जैविक खेती के लिए वित्तीय सहायता
- जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को सीधी सब्सिडी और फंडिंग दी जाएगी।
- किसानों को 3 साल तक वित्तीय सहायता दी जाएगी ताकि वे जैविक खेती की प्रक्रिया को पूरी तरह से अपना सकें।
3. जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग
- माइक्रो-इरिगेशन, ड्रिप सिस्टम, और वाटर हार्वेस्टिंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में विशेष योजनाएं चलाई जाएंगी।
4. पर्यावरण-अनुकूल कृषि उपकरण
- किसानों को सोलर पंप, इको-फ्रेंडली ट्रैक्टर, और आधुनिक कृषि उपकरणों पर सब्सिडी दी जाएगी।
- कृषि यंत्रीकरण के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी पर फोकस किया जाएगा।
5. जैव विविधता और पारंपरिक फसलों का संरक्षण
- पारंपरिक फसलें जैसे दलहन, तिलहन और मोटे अनाज (मिलेट्स) को बढ़ावा दिया जाएगा।
- किसानों को पारंपरिक कृषि के लाभ और उसके बाजार मूल्य के बारे में जानकारी दी जाएगी।
6. किसान प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान
- किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- जैविक खेती के फायदे और तकनीकों को सिखाने के लिए कृषि विशेषज्ञों और NGOs की मदद ली जाएगी।
7. कृषि-आधारित स्टार्टअप्स का प्रोत्साहन
- सरकार ग्रीन एग्री स्टार्टअप्स को फंडिंग प्रदान करेगी जो सतत कृषि समाधान विकसित करेंगे।
- स्टार्टअप्स को नवाचार के लिए विशेष अनुदान और मार्केटिंग सपोर्ट मिलेगा।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री ने कहा:
“यह योजना आंध्र प्रदेश को पर्यावरण-अनुकूल कृषि का मॉडल राज्य बनाएगी। किसानों को रसायन मुक्त और टिकाऊ खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि उनकी आय बढ़े और पर्यावरण का संरक्षण हो।”
योजना के लाभ
- किसानों की आय में वृद्धि:
- जैविक खेती और प्राकृतिक कृषि से लागत घटेगी और उत्पादों को बाजार में उच्च मूल्य मिलेगा।
- पर्यावरण संरक्षण:
- रसायनों का उपयोग कम होने से मिट्टी की गुणवत्ता और जल संसाधनों का संरक्षण होगा।
- जल प्रबंधन:
- माइक्रो-इरिगेशन और जल संरक्षण तकनीकों से पानी का सतत उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
- जैविक उत्पादों की मांग:
- वैश्विक और घरेलू बाजार में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग का लाभ किसानों को मिलेगा।
- सतत विकास:
- पर्यावरण-अनुकूल कृषि से राज्य में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
- विपक्ष ने सरकार की योजना का समर्थन किया लेकिन इसके क्रियान्वयन को लेकर चिंता जताई।
- उन्होंने कहा कि किसानों को फंडिंग समय पर मिलनी चाहिए और योजना को पूरी पारदर्शिता से लागू किया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
- कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना राज्य के कृषि उत्पादन, किसानों की आय वृद्धि, और पर्यावरणीय संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।
- अगर सही तरीके से लागू किया गया तो आंध्र प्रदेश “ग्रीन एग्रीकल्चर मॉडल” के रूप में उभरेगा।
चुनौतियां और समाधान
- जागरूकता की कमी:
- किसानों को जैविक खेती के लाभों और तकनीकों के प्रति जागरूक करने के लिए स्थानीय अभियान चलाए जाएंगे।
- प्रारंभिक लागत का बोझ:
- सब्सिडी और अनुदान के जरिए किसानों को वित्तीय मदद दी जाएगी।
- बाजार की कमी:
- जैविक उत्पादों के लिए विशेष बाजार और मार्केटिंग चैनल विकसित किए जाएंगे।
निष्कर्ष:
आंध्र प्रदेश सरकार की यह योजना राज्य को पर्यावरण-अनुकूल कृषि का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण, और जैव विविधता संरक्षण के जरिए यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करेगी।