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Chenab Bridge: उद्घाटन के बाद दुनिये का सबसे ऊंचे ब्रिज यानी चिनाब ब्रिज की कई तस्वीरें सामने आईं. अब AI ने कुछ तस्वीरें बनाई हैं जिसमें दिखाया गया कि बर्फबारी के दौरान ये ब्रिज कैसा दिखेगा.
दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज कहा हैं? इस सवाल का जवाब अब हर भारतीय गर्व से देगा- इंडिया में. चिनाब रेलवे ब्रिज 359 मीटर (1,178 फीट) ऊँचा है, जो चिनाब नदी के ऊपर बना है. उद्घाटन के बाद ब्रिज की कई तस्वीरें सामने आईं. अब AI ने बताया कि ये ब्रिज तब कैसे दिखेगा जब वहां बर्फबारी होगी.

AI ने ब्रिज की कुछ तस्वीरें बनाई हैं जिसमें चिनाब ब्रिज, बर्फबारी के दौरान और भी ज्यादा खूबसूरत दिख रहा है. इस एआई तस्वीर में ब्रिज के ऊपर से ट्रेन को जाते हुए भी दिखाया गया है. हालांकि, ये तस्वीर पूरा तरह से हकीकत नहीं है, इसे प्रतीकात्मक तौर पर देखा जा सकता है.

इसकी ऊँचाई इतनी अधिक है कि यह पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टॉवर (324 मीटर) से भी 35 मीटर ज्यादा ऊँचा है. यह विश्व स्तर पर इंजीनियरिंग की उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है और इसे बनाने में उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे इसकी मजबूती और स्थायित्व सुनिश्चित हो सके.

जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित चिनाब ब्रिज जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बनाया गया है और यह बक्कल तथा कौरी गाँवों को जोड़ता है. इस क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद, इस ब्रिज का निर्माण सफलतापूर्वक किया गया.

यहां का कठिन पहाड़ी इलाका, तेज़ हवाएँ और भूकंप संभावित क्षेत्र होने के बावजूद इस ब्रिज को अभूतपूर्व मजबूती और सुरक्षा के साथ डिज़ाइन किया गया है.

ब्रिज की कुल लंबाई 1,315 मीटर है चिनाब ब्रिज की कुल लंबाई 1,315 मीटर (4,314 फीट) है, जिसमें मुख्य आर्च 467 मीटर लंबा है. यह दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-आर्च रेलवे ब्रिज भी बन चुका है. इतनी लंबाई के कारण ट्रेनें सुरक्षित और तेज़ गति से इस पर यात्रा कर सकेंगी.

निर्माण कार्य 2002 में शुरू होकर 2022 में पूरा हुआ इस ब्रिज का निर्माण कार्य 2002 में शुरू किया गया था, लेकिन इलाके की चुनौतियों, मौसम की कठिनाइयों और सुरक्षा संबंधी मुद्दों के कारण इसे पूरा होने में 20 वर्षों का समय लगा. 2021 में इसका मुख्य आर्च पूरा हुआ और 2022 में इसे पूरी तरह से तैयार कर लिया गया.

28,660 मीट्रिक टन स्टील से बना है ब्रिज चिनाब ब्रिज को बनाने में भारी मात्रा में स्टील का उपयोग किया गया. इसे 28,660 मीट्रिक टन स्टील से तैयार किया गया, जिससे इसकी मजबूती और स्थायित्व सुनिश्चित हुआ.