10 घंटे पहलेलेखक: गौरव तिवारी
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सवाल: मैं और मेरा पति दिल्ली में रहते हैं। हम दोनों कॉर्पोरेट में काम करते हैं और फिलहाल अपने करियर और मेंटल हेल्थ पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं। हमारी शादी को अब 4 साल हो गए हैं। हमने मिलकर बच्चा नहीं करने का फैसला लिया है, लेकिन परिवार के लोग और रिश्तेदार लगातार इस बारे में सवाल करते रहते हैं और दबाव बनाते हैं कि जल्दी बच्चा कर लो। वे हमारे पीछे यह भी कहने लगे हैं कि शायद हम बच्चे पैदा करने में असमर्थ हैं। ये बातें सुनकर हम दोनों बहुत परेशान हो जाते हैं और रिश्तों में खटास आ रही है। इसका असर हमारे करियर और मेंटल हेल्थ पर भी पड़ रहा है। हम इस स्थिति को कैसे संभालें और परिवार वालों को कैसे समझाएं कि बच्चा न करना हमारा पर्सनल फैसला है।
एक्सपर्ट: अदिति सक्सेना, काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, भोपाल
जवाब: आपकी कहानी सुनकर लगता है, शहर में रह रहे दो ऐसे लोग हैं, जो अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीना चाहते हैं, लेकिन परिवार की अपेक्षाएं रास्ते में आ रही हैं। बच्चा न करने का फैसला लेना आसान नहीं, खासकर जब समाज और रिश्तेदार हर कदम पर सवाल उठाएं। बच्चे के लिए परिवार और रिश्तेदारों के दबाव से मेंटल हेल्थ भी प्रभावित हो सकती है। किसी के तानों और गलतफहमियों के कारण आपको तनाव महसूस हो सकता है, लेकिन याद रखें कि आपका फैसला आपकी खुशी और लाइफ गोल्स पर आधारित है। इसका दबाव अपने ऊपर हावी न होने दें।
हजारों लोग टाल रहे हैं पेरेंटहुड
सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि आप अकेले नहीं हैं। आज हजारों कपल्स ऐसे हैं, जो अपनी मर्जी से पेरेंटहुड को टाल रहे हैं या नकार रहे हैं। हालांकि, भारत जैसे सामूहिक सोच बनाने वाले समाज में, बच्चा पैदा करना अब भी एक सामाजिक जिम्मेदारी की तरह देखा जाता है, न कि निजी जीवन के फैसले की तरह। ऐसे में जो लोग अपनी शर्तों पर जीवन जीना चाहते हैं, उन्हें आलोचना झेलनी पड़ती है।

खुद से पूछें ये सवाल
- क्या आप दोनों अपने फैसले को लेकर एकमत हैं?
- क्या आपको बार-बार सफाई देने की जरूरत महसूस होती है?
- क्या आपके रिश्ते में इस फैसले के चलते तनाव नहीं है?
- क्या आप समाज के दबाव के कारण अपने फैसले को बदलने के बारे में सोचते हैं?
इन सवालों से यह स्पष्ट होगा कि ये परेशानी बाहरी लोगों के कारण हो रही है या आप लोगों के आपसी फैसले में स्पष्टता में कोई कमी है। जब आप दोनों एक-दूसरे को अच्छे से समझते हैं और सपोर्ट करते हैं तो बाहरी लोगों की बातें ज्यादा असर नहीं करती हैं।

सवाल: परिवार को कैसे समझाएं कि बच्चा न करना हमारा पर्सनल फैसला है?
जवाब: परिवार के लोग और रिश्तेदार ऐसे मामलों में इमोशनल तरीका अपनाते हैं। इसलिए जवाब देना उतना आसान नहीं होता है, क्योंकि आप असंवेदनशील नहीं हो सकते हैं। इसके लिए यह 3-स्टेप कम्युनिकेशन प्लान फॉलो करें:
1. सीमाएं तय करें
- फैमिली और रिश्तेदारों को बताएं कि हमने इस पर बहुत सोच-विचार कर के फैसला लिया है। हम चाहते हैं कि इस विषय पर बार-बार चर्चा न हो।
- ये बातें प्यार और सम्मान के साथ लेकिन साफ और दृढ़ आवाज में कहनी होंगी।
- कुछ रिश्तेदारों को बार-बार याद दिलाना पड़ेगा, लेकिन यह जरूरी है।
2. फोकस शिफ्ट करें
- जब कोई बार-बार बच्चा न होने पर बात करे तो बात को स्मार्ट तरीके से मोड़ दें।
- उनके सवाल पर आप कहें कि हम अभी अपने करियर और लाइफ स्टेबिलिटी पर फोकस कर रहे हैं। आपने बताया था कि आपके बेटे को प्रमोशन मिला, वो कैसे हैं?
- इससे सामने वाले व्यक्ति को महसूस होगा कि आप इस विषय पर बात नहीं करना चाहते हैं।
3. पार्टनर के साथ मिलकर प्लान बनाएं
- आप और आपका पार्टनर दोनों मिलकर तय करें कि किस रिश्तेदार को क्या जवाब देना है।
- ऐसे किसी भी मामले पर एक-दूसरे को सपोर्ट करें, क्योंकि ये आप दोनों का साझा फैसला है। इसके कारण किसी एक को अकेलापन नहीं महसूस होना चाहिए।
- अगर कोई फैमिली मेंबर सिर्फ पति या सिर्फ पत्नी को टारगेट कर रहा है तो ऐसे में साथी पार्टनर को उसका सपोर्ट करना चाहिए।

सवाल: इस तनाव को रिश्ते और करियर पर हावी होने से कैसे रोकें?
जवाब: जीवन में जब निजी और प्रोफेशनल जिम्मेदारियां आपस में टकराने लगती हैं तो व्यक्ति के भीतर ही नहीं, उसके रिश्तों और करियर दोनों पर असर दिखने लगता है। अक्सर देखने को मिलता है कि ऐसे समय में कम्युनिकेशन की कमी, भावनात्मक थकान और असंतुलित प्राथमिकताएं रिश्तों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं। अगर समय रहते कुछ प्रैक्टिकल कदम उठाए जाएं तो इन तनावों से निपटा जा सकता है।
1. आपसी बातचीत को प्राथमिकता दें
तनावपूर्ण परिस्थितियों में सबसे पहले कम्युनिकेशन की कमी हो जाती है। पार्टनर से खुलकर, ईमानदारी से और बिना किसी दोषारोपण के बातचीत करना जरूरी है। हर भावना को समझने और शेयर की कोशिश करें- चाहे वह उलझन हो, गुस्सा हो या डर हो। बातचीत का उद्देश्य समाधान खोजना होना चाहिए, न कि आरोप-प्रत्यारोप करना।
2. रिश्ते को बाहरी लोगों के सवालों से बचाएं
जब करियर से जुड़ी चुनौतियां या पारिवारिक दबाव रिलेशनशिप में दखल देने लगते हैं, तो यह जरूरी होता है कि दोनों पार्टनर मिलकर यह तय करें कि किस बात को कितनी अहमियत दी जाए। कुछ मामलों में अस्थायी दूरी बनाना, जैसे कुछ चर्चाओं को फिलहाल टाल देना, रिश्ते की स्टेबिलिटी के लिए फायदेमंद हो सकता है।
3. सेल्फ-केयर को नजरअंदाज न करें
कई बार व्यक्ति खुद को भूलकर केवल समस्या पर केंद्रित हो जाता है, जबकि मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए सेल्फ केयर भी जरूरी है। योग, ध्यान, नियमित नींद, हल्की एक्सरसाइज और पॉजिटिव एक्टिविटीज तनाव को कम करने में मदद करती हैं।
4. थेरेपी को विकल्प के रूप में अपनाएं
अगर किसी मुद्दे पर बार-बार असहमति या टकराव हो रहा है तो कपल काउंसलिंग एक सेफ प्लेटफॉर्म हो सकता है। थेरेपिस्ट न केवल आपकी उलझनों को दूर कर सकता है, बल्कि संबंधों को नए नजरिए से समझने में भी मदद करता है।
5. करियर को संतुलन का आधार बनाएं, भागने का नहीं
जब रिश्ते में तनाव होता है तो कुछ लोग खुद को काम में ज्यादा व्यस्त कर लेते हैं। यह एक अस्थायी समाधान हो सकता है, लेकिन लंबे समय में इससे दूरी और बढ़ती जाती है। करियर को उद्देश्य और आत्म-संतुष्टि का माध्यम बनाना सही है, लेकिन ऐसी स्थिति में खुद को और अपने रिश्ते को ज्यादा महत्व दें। अपने पार्टनर के साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करें। एक दूसरे को पहले से ज्यादा सपोर्ट दें।
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