Friday, June 20, 2025
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मेंटल हेल्थ– बचपन में मम्मी–पापा ने मुझे छोड़ दिया: नाना–नानी ने पाला, नानी के जाने के बाद से मैं गहरे डिप्रेशन में हूं, मैं क्या करूं


1 घंटे पहले

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सवाल– मेरी उम्र 29 साल है। जब मैं सिर्फ डेढ़ साल का था तो मेरी मां का डिवोर्स हो गया और वो मुझे नानी के पास छोड़कर चली गईं। मम्मी ने दूसरी शादी कर ली। पापा को तो मैंने 19 साल की उम्र तक देखा भी नहीं था। नानी ने बताया था कि उन्होंने भी दूसरी शादी कर ली और वो कहीं विदेश में रहते हैं। मेरे मम्मी-पापा, दोनों ने कभी मेरी खोज–खबर नहीं ली, न ही मुझसे मिलने की कोशिश की। मुझे नाना-नानी ने ही पाला। नानी मुझे बहुत प्यार करती थीं और मैं उनसे बहुत अटैच्ड भी था। लेकिन वो काफी बुजुर्ग हो गई थीं। दो साल पहले मेरे नाना की डेथ हो गई और अभी छह महीने पहले नानी भी दुनिया में नहीं रहीं। अब तक तो मैं काफी खुशमिजाज, हमेशा हंसने और सबको हंसाने वाला इंसान था। मुझे भी नहीं पता था कि मैं अंदर से इतना डिप्रेस्ड हूं। लेकिन नानी की डेथ के बाद से अचानक मैं बहुत गहरे डिप्रेशन में चला गया। मुझे पूरी-पूरी रात नींद नहीं आती थी। डॉक्टर ने मुझे नींद की दवाइयां और कुछ एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयां भी दीं। स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन पहले की तरह नहीं है। मुझे नानी की बहुत याद आती है। मैं क्या करूं?

एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर।

डियर फ्रेंड, मैंने आपके सवाल को कई बार पढ़ा और उससे कहीं ज्यादा, जितना आपने लिखा है। अपने किसी प्रिय की मृत्यु तो यूं भी दुखद ही होती है, लेकिन आपके केस में नानी का गुजरना कहीं गहरा घाव है। इसके अनेक कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण आपके बचपन की घटनाओं में छिपा हुआ है।

लेकिन मैं जो देख पा रहा हूं, वो आपके सवाल में तकलीफ के साथ छिपी हुई उम्मीद की एक किरण भी है। आपका यह सवाल पूछना और अपनी कहानी को इतने तफसील से बयान करना ये बताता है कि आप पॉजिटिव हैं और अपनी मन:स्थिति और जीवन स्थितियों को बदलने की उम्मीद रखते हैं। आपको पता है, सवाल पूछना ही बदलाव की दिशा में उठा सबसे बड़ा कदम होता है। यह दुख 29 साल के वयस्क पुरुष का नहीं, 5 साल के छोटे बच्चे का है।

मृत्यु दुखद होती है, लेकिन एक वयस्क मनुष्य उस दुख को प्रोसेस करने और उससे उबरने में सक्षम भी होता है। लेकिन यहां आप नानी के न रहने पर जो दुख महसूस कर रहे हैं, वो एक वयस्क पुरुष का नहीं, बल्कि उस पांच साल के बच्चे का दुख है, जिसकी मां उसे छोड़कर चली गई। बचपन में आपने जो एबैनडनमेंट महसूस किया, नानी के न रहने पर वही पुरानी स्मृतियां और दुख एक बार फिर सतह पर लौट आए।

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इसलिए यहां आपको जो करने की जरूरत है, वो है अपने पुराने घाव को देखना, समझना, उसे हील करना और फिर उससे उबरना।

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सबसे पहले सेल्फ एसेसमेंट करें

आगे बढ़ने से पहले मैं आपको कुछ सवाल, एसेसमेंट और स्कोर चार्ट देना चाहूंगा। आप इन सवालों को ध्यान से पढ़ें, इनके जवाब अपनी डायरी में नोट करें और देखें कि आप किस जगह खड़े हैं और आपको इस वक्त किस तरह की मदद की जरूरत है।

आपका अटैचमेंट स्टाइल क्या है?

अटैचमेंट यानी जुड़ाव किसी भी इंसान की बुनियादी जरूरत है। हमारे जीवन की शुरुआत ही अपने प्राइमरी केयर गिवर के साथ जुड़ाव से होती है, जो कि अधिकांश मामलों में मां होती है। यह अटैचमेंट रिलेशनशिप अगर बचपन में ही बिगड़ जाए तो उसका असर आजीवन हमारे एडल्ट रिश्तों पर पड़ता है। आपके केस में अटैचमेंट और अवॉइडेंस से जुड़ी स्थिति को समझने के लिए नीचे दिए सवालों का जवाब दें और अपना स्कोर चेक करें।

अटैचमेंट एंग्जाइटी और अवॉइडेंस

नीचे एंग्जाइटी और अवॉइडेंस से जुड़े कुछ सवाल हैं। इन सवालों का जवाब हां या ना में दें और देखें कि आपका स्कोर क्या है।

अटैचमेंट एंग्जाइटी

  • मुझे अक्सर चिंता होती है कि दूसरे लोग मेरी उतनी परवाह नहीं करते, जितनी मैं उनकी करता हूं।
  • मुझे डर है कि मेरे करीबी लोग मुझे छोड़कर चले जाएंगे।
  • मुझे दूसरों से बार-बार आश्वासन की जरूरत होती है। मैं बार-बार अश्योरेंस चाहता हूं।

अगर इन सवालों का आपका जवाब हां है तो आप-

बहुत ज्यादा निर्भर हैं और आपको रिजेक्शन का डर सताता है।

अटैचमेंट अवॉइडेंस

  • मैं दूसरों को ये नहीं दिखाना चाहता कि मैं अंदर से कैसा महसूस करता हूं।
  • मुझे दूसरों पर निर्भर होने में डर लगता है और असहज महसूस होता है।
  • मैं लोगों से इमोशनली अटैच होने से बचता हूं।

अगर इन सवालों का आपका जवाब हां है तो आप-

  • अपने इमोशंस से दूर भागते हैं और आपको भरोसा करने में मुश्किल हो सकती है।
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अगर आपका जवाब ना है तो आपका एंग्जाइटी और अवॉइडेंस का लेवल कम बिल्कुल नॉर्मल है। आप भावनात्मक रूप से सुरक्षित हैं।

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PGD (प्रोलॉन्ग ग्रीफ डिसऑर्डर) टेस्ट

अपना अटैचमेंट स्टाइल चेक करने के बाद आपको एक और टेस्ट करना है। वो है ग्रीफ असेसमेंट टेस्ट। इस टेस्ट के जरिए हमें यह समझने की कोशिश करनी है कि नानी की डेथ के बाद आप जो दुख महसूस कर रहे हैं, उसकी इंटेंसिटी क्या है और क्या आपको प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है। इसके लिए नीचे दिए गए सवाल पढ़ें–

PGD टेस्ट के सवाल

  • मुझे उस व्यक्ति के लिए गहरी तड़प महसूस होती है, जिसे मैंने खो दिया है।
  • मैं उस व्यक्ति की मृत्यु को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं।
  • उस व्यक्ति को खोने के बाद से मैं इमोशनली नंब महसूस करता हूं।
  • मैं ऐसी किसी भी चीज से बचता हूं, जो मुझे उसकी याद दिलाए। जैसे उसका सामान, फोटो एलबम वगैरह।
  • मुझे लगता है कि उसके बिना जीवन बिल्कुल निरर्थक है।
  • मैं मृत्यु को लेकर एक तरह की कड़वाहट या गुस्सा महसूस करता हूं।
  • अपने प्रिय को खोने के बाद मैं और लोगों से भी दूर हो गया हूं।
  • मैं किसी से जुड़ने, लगाव महसूस करने से डरने लगा हूं।
  • मुझे दूसरों पर भरोसा करने में मुश्किल होती है।
  • मैं खुद को सामाजिक रूप से अलग-थलग महसूस करता हूं

अब आपको इन सवालों के जवाब के हिसाब से खुद को स्कोर देना है।

स्कोर चार्ट नीचे ग्राफिक में दिया गया है। जैसेकि अगर पहले सवाल का आपका जवाब ‘बिल्कुल नहीं’ है तो खुद को 0 नंबर दें, अगर जवाब ‘कभी–कभार’ है तो 2 नंबर दें और अगर जवाब है ‘हर समय’ है तो 4 नंबर दें। इस तरह सारे सवालों का जवाब देने के बाद अपना स्कोर चार्ट चेक करें और देखें कि आप PGD स्पेक्ट्रम में कहां खड़े हैं।

सेल्फ मैनेजमेंट प्लान

इन टेस्ट में अगर आपका स्कोर 20 से कम यानी औसत है तो आप नीचे दिया सेल्फ मैनेजमेंट प्लान फॉलो करें। अगर स्कोर 20 से ज्यादा है और आपको प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है, तो ये प्लान फॉलो करते हुए प्रोफेशनल हेल्प भी लें।

स्टेप 1: अपने दुःख को स्वीकार करें, उसे नॉर्मलाइज करने की कोशिश करें।

  • याद रखें कि दुख हमेशा एक जैसा नहीं होता। डिनायल यानी इनकार, गुस्सा, उदासी और स्वीकृति, सब दुख के अलग-अलग चक्र हैं, दुख का हिस्सा हैं।
  • ये फीलिंग्स स्थाई नहीं हैं। सबकुछ की तरह ये भी बीत जाएगा।
  • खुद को दुख महसूस करने से रोकें या अपने इमोशंस को दबाएं नहीं। अगर रोना आता है तो खुलकर रोएं।
  • खुद को याद दिलाएं, रोना ही सहज और स्वाभाविक है। रोना आए, दुख हो तो शर्मिंदगी महसूस करने की जरूरत नहीं है।

स्टेप 2: डेली ग्रीफ रिचुअल

  • एक मोमबत्ती जलाएं और अपनी नानी को एक पत्र लिखें।
  • अपनी डायरी में अपनी नानी की यादें दर्ज करें। उसे ऐसे लिखें, मानो आप उनसे बात कर रहे हैं।
  • इससे चले गए व्यक्ति के साथ एक तरह का बॉन्ड बना रहता है। ऐसा करने से एडजेस्टमेंट में आसानी होती है।

स्टेप 3: एक डेली रूटीन बनाएं

  • अपना एक फिक्स डेली रूटीन बनाएं: सुबह उठना, रात में सोना, फूड, एक्सरसाइज, वॉकिंग आदि जरूरी कामों का एक टाइम तय करें।
  • हर काम को उस रूटीन के हिसाब से करें।
  • हमारी बॉडी के सर्केडियन रिद्म पर दुख का निगेटिव असर पड़ता है। इसलिए एक फिक्स डेली रूटीन फॉलो करने से मदद मिलती है।

स्टेप 4: मीनिंगफुल एक्टिविटीज में शामिल हों

  • सार्थक गतिविधि में शामिल हों
  • अपनी नानी की विरासत का सम्मान करने के लिए वो सारी एक्टिविटीज करते रहें, जो आप अपनी नानी के साथ किया करते थे।
  • जैसेकि: अपनी नानी की रेसिपीज बनाना, उनके पसंदीदा गाने सुनना या ऐसा कोई भी काम, जो नानी बहुत शौक से किया करती थीं।

स्टेप 5: अपने दूसरे रिश्तों को मजबूत बनाएं

  • भरोसेमंद दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते-जुलते रहें। उनसे बातें करें, उनके साथ वक्त बिताएं।
  • उनसे अपने दुख के बारे में खुलकर बात करें। हर हफ्ते कम-से-कम एक व्यक्ति से नानी की यादों के बारे में बात करें।

स्टेप 6: अपनी सेहत का ख्याल

रोज ये काम करें-

  • कम–से–कम 8 घंटे की नींद लें।
  • रोज 20 से 30 मिनट एक्सरसाइज करें (वॉकिंग, स्ट्रेचिंग)।
  • बैलेंस्ड डाइट लें। चीनी, एल्कोहल या एक्सेस कैफीन न लें।

स्टेप 7: माइंडफुलनेस और सेल्फ कंपैशन का अभ्यास करें

  • रोज 20 मिनट ध्यान, मेडिटेशन करें।
  • इसके लिए किसी मेडिटेशन एप की मदद भी ले सकते हैं।

स्टेप 8: अपने इमोशंस और रिश्तों को अवॉइड न करें

  • अपनी भावनाओं को दबाएं नहीं। भावनाओं से भागने की कोशिश में ये काम न करें-
  • बहुत ज्यादा हर वक्त काम करना।
  • ड्रग्स, शराब वगैरह का सहारा लेना।
  • हर वक्त मोबाइल देखना।
  • एक्सेस शॉपिंग, पार्टी वगैरह में डूबना।

नोट: नानी की याद दिलाने वाली चीजें, जैसे कि उनकी फोटो, कपड़ों, उनके सामानों को पूरी तरह आलमारी में बंद कर देने, घर से हटा देने या उन्हें पूरी तरह अवॉइड करने की बजाय धीरे-धीरे उन चीजों का सामना करें।

खुद को वक्त दें और अपने हर इमोशन की रिस्पेक्ट करें। वक्त के साथ दुख का प्रभाव कम होगा और आप नानी की सुंदर यादों और उनकी निशानियों के साथ सहज होना सीखेंगे। ………………..

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