Friday, June 20, 2025
Homeलाइफस्टाइलभगवान बुद्ध को क्यों लगाया जाता है खीर का भोग, नहीं जानते...

भगवान बुद्ध को क्यों लगाया जाता है खीर का भोग, नहीं जानते होंगे ये रहस्य


सोमवार 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा पर बुद्ध जयंती मनाई जा रही है. मान्यता है कि सालों तपस्या के बाद बिहार के बोधगया में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.

वैशाख पूर्णिमा पर ही राजकुमार सिद्धार्थ भगवान गौतम बुद्ध बन गए. आज के दिन पीपल वृक्ष की पूजा का महत्व है. साथ ही बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध को खीर का भोग भी लगाया जाता है. जानें आखिर खीर का भोग लगाने के पीछे क्या कारण है.

वैशाख पूर्णिमा पर ही राजकुमार सिद्धार्थ भगवान गौतम बुद्ध बन गए. आज के दिन पीपल वृक्ष की पूजा का महत्व है. साथ ही बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध को खीर का भोग भी लगाया जाता है. जानें आखिर खीर का भोग लगाने के पीछे क्या कारण है.

सुजाता नाम की एक स्त्री ने बकरौर गांव में बुद्ध को पेड़ के नीचे साधना करते हुए देखा. वो तपस्या करते हुए कंकाल की तरह हो चुके थे. तब स्त्री ने उन्हें जलपान कराया और खीर का प्याला दिया. खीर खाने के बाद बुद्ध को मध्यम मार्ग का बोध हुआ और वे बोधगया की ओर चल दिए.

सुजाता नाम की एक स्त्री ने बकरौर गांव में बुद्ध को पेड़ के नीचे साधना करते हुए देखा. वो तपस्या करते हुए कंकाल की तरह हो चुके थे. तब स्त्री ने उन्हें जलपान कराया और खीर का प्याला दिया. खीर खाने के बाद बुद्ध को मध्यम मार्ग का बोध हुआ और वे बोधगया की ओर चल दिए.

सुजाता की खीर खाने के बाद बुद्ध बोधगया पहुंचकर एक पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर फिर से तपस्या करने लगे. इसी वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे राजकुमार गौतम से गौतम बुद्ध कहलाए.

सुजाता की खीर खाने के बाद बुद्ध बोधगया पहुंचकर एक पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर फिर से तपस्या करने लगे. इसी वृक्ष के नीचे वैशाख पूर्णिमा पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे राजकुमार गौतम से गौतम बुद्ध कहलाए.

इसलिए ऐसा माना जाता है कि ढुंगेश्वरी में की गई कठिन तपस्या, बकरौल में सुजाता नामक एक ग्वालिन महिला की खीर खाने और बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे की गई तपस्या का बुद्ध के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़े और वे भगवान बुद्ध बने.

इसलिए ऐसा माना जाता है कि ढुंगेश्वरी में की गई कठिन तपस्या, बकरौल में सुजाता नामक एक ग्वालिन महिला की खीर खाने और बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे की गई तपस्या का बुद्ध के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़े और वे भगवान बुद्ध बने.

यही कारण है कि भगवान बुद्ध को खीर का भोग लगाया जाता है. आज बुद्ध जयंती के विशेष दिन पर भगवान बुद्ध को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी बढ़ता है.

यही कारण है कि भगवान बुद्ध को खीर का भोग लगाया जाता है. आज बुद्ध जयंती के विशेष दिन पर भगवान बुद्ध को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी बढ़ता है.

Published at : 12 May 2025 08:38 AM (IST)

ऐस्ट्रो फोटो गैलरी

ऐस्ट्रो वेब स्टोरीज



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img
spot_img
spot_img
spot_img
spot_img

Most Popular

Recent Comments