Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर बनी सहमति के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर को लेकर एक और विवादित बयान दिया है. रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग रूकवाने में नाकाम रहे ट्रंप ने अब कश्मीर का मुद्दा सुलझाने की बात कही है. ट्रंप ने ही शनिवार को सबसे पहले भारत-अमेरिका में सीजफायर होने की घोषणा की थी, जिसके बाद भारतीय विदेश सचिव ने घोषणा की थी.
सीजफायर पर संशय, पीएम ने की हाईलेवल बैठक
अमेरिका भले ही अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकिन सीजफायर को लेकर संदेह है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी हों या फिर गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. किसी ने भी सीजफायर को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा है. सीजफायर की घोषणा के 3 घंटे बाद ही पाकिस्तान ने अपना असली रंग दिखाते हुए सीजफायर तोड़ दिया था.
खुद वाहवाही लूट रहे ट्रंप बोले, विनाश का कारण बनता युद्ध
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपने ताजा बयान में लिखा है कि मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान आक्रमण को रोकने का समय आ गया है. यह युद्ध इतने सारे लोगों की मृत्यु और विनाश का कारण बन सकता था. लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे. आपकी विरासत आपके बहादुर कार्यों से बहुत बढ़ गई है.
हजार साल बाद कश्मीर पर निकालूंगा हल: ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पोस्ट में कश्मीर का भी जिक्र किया. उन्होंने लिखा कि मुझे गर्व है कि अमेरिका आपको इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय पर पहुंचने में मदद करने में सक्षम था, जबकि चर्चा भी नहीं हुई. मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं. इसके अतिरिक्त मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या हजार साल के बाद कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है. भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को अच्छी तरह से किए गए काम के लिए आशीर्वाद दें.
ट्रंप के इस बयान से साफ है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को कश्मीर विवाद को लेकर सही जानकारी नहीं है. बंटवारे के बाद यानी 1947 में ही कश्मीर, भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद बना है. धारा 370 हटने के बाद से कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है. पिछले 5-6 साल में जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है. कश्मीरी अवाम मुख्यधारा में जुड़ गई है. साथ ही कश्मीरी युवाओं ने आतंकी तंजीमों में शामिल होना लगभग बंद कर दिया है. ऐसे में भारत और पाकिस्तान के बीच बड़ा विवाद कश्मीर नहीं आतंकवाद है.
पाकिस्तान की तरफ से भारत के खिलाफ आतंकवाद के तौर पर छद्म युद्ध दरअसल मुख्य विवाद है, क्योंकि पाकिस्तान और (पीओके) वैश्विक आतंकवाद का एपीसेंटर यानी गढ़ बन गया है. पहलगाम नरसंहार भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के दिशा-निर्देश पर अंजाम दिया गया है. पहलगाम हमले का मुख्य आरोपी हाशिम मूसा भी पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्स एसएसजी (स्पेशल सर्विस ग्रुप) का कमांडो रह चुका है. एसएसजी और आतंकी संगठनों के चोली-दामन का साथ दुनिया से छिपा नहीं है.
‘पाकिस्तान से विवाद सिर्फ पीओके को लेकर है’
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कहा था कि पाकिस्तान से कोई विवाद है तो वो पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर है. जिस कश्मीर की समस्या का समाधान करने की बात डोनाल्ड ट्रंप कर रहे हैं, उसका इतिहास तक नहीं जानते. पहलगाम हमले के बाद भी ट्रंप ने अमेरिकी पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पहलगाम अटैक बहुत बुरा है. भारत-पाकिस्तान के बीच 1000 साल से भी ज्यादा वक्त से कश्मीर पर विवाद चल रहा है, जिसके बाद ट्रंप को लोगों ने ट्रोल कर दिया. ट्रंप कश्मीर की समस्या को कितनी गंभीरता से सोचते हैं, ये ट्रंप के ताजा बयान से साफ है.
ट्रंप से नहीं निकला रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल हमास युद्ध का कोई समाधान
राष्ट्रपति बनने के महज 20 दिनों में रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास जंग को खत्म करने का दावा करने वाले ट्रंप चार महीने बाद भी कोई समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं. (रविवार को हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से वार्ता करने का जरूर ऐलान किया). ऐसे में कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने का ट्रंप का दावा बेमानी दिखाई पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें:
Operation Sindoor: ‘पाकिस्तान सच में मुसलमानों का हितैषी है तो…’, असदुद्दीन ओवैसी का बड़ा बयान