5 घंटे पहलेलेखक: शिवाकान्त शुक्ल
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सवाल- मैं उत्तर प्रदेश के लखनऊ का रहने वाला हूं। मेरे दो बच्चे हैं। एक की उम्र 6 साल और दूसरे की 10 साल है। दोनों बच्चों की फूड हैबिट्स बेहद खराब हैं। उन्हें घर का बना नॉर्मल खाना दाल-चावल, रोटी-सब्जी बिल्कुल भी पसंद नहीं आता। इसके बजाय वे चिप्स, बिस्किट, नमकीन, चॉकलेट, नूडल्स, पिज्जा और बर्गर बड़े चाव से खाते हैं। शायद यही वजह है कि उनका वजन भी बढ़ता जा रहा है और वे अक्सर बीमार भी पड़ते रहते हैं। उन्हें फल-सब्जियां और सलाद खाने के लिए कन्विंस करना बहुत मुश्किल है। मैं अपने बच्चों की खराब फूड हैबिट सुधारने के लिए क्या करूं?
एक्सपर्ट: रिद्धि दोषी पटेल, चाइल्ड एंड पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट, मुंबई
जवाब- आपकी चिंता वाजिब है। आजकल बच्चों की खराब फूड हैबिट ज्यादातर पेरेंट्स के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी है। खासकर शहरी इलाकों में, जहां फास्ट फूड और जंक फूड आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यह बच्चे की फिजिकल और मेंटल ग्रोथ को बुरी तरह प्रभावित करता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, फास्ट फूड, जंक फूड और ज्यादा मात्रा में शुगरी ड्रिंक्स का सेवन बच्चों में मोटापा, डायबिटीज और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा सकता है। इससे उनमें चिड़चिड़ापन, एकाग्रता और सीखने की क्षमता में कमी जैसी समस्याएं भी देखी हो सकती हैं।
बात कड़वी है, लेकिन कहना पड़ेगा कि बच्चों की फूड हैबिट को बिगाड़ने में सबसे बड़ी भूमिका माता-पिता की ही होती है। वरना बच्चे को क्या पता कि कौन सा फूड अच्छा है और कौन सा खराब। पेरेंट्स ही उसे हेल्दी और अनहेल्दी फूड से परिचित कराते हैं।
अब बच्चे की आदत खराब हो गई है तो इसे अचानक से नहीं सुधारा जा सकता है। लेकिन धीरे-धीरे इस पर काबू जरूर किया जा सकता है। इसलिए घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें और स्ट्रेटजी बनाएं। इसके लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि बच्चों की खराब फूड हैबिट सिर्फ उनकी पसंद-नापसंद का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ कारण भी हो सकते हैं। जैसेकि-

बच्चों की खराब फूड हैबिट को सुधारने से पहले खुद से पूछें ये सवाल
- क्या आप बच्चे के सामने खुद हेल्दी खाना खाते हैं? अगर आप खुद अनहेल्दी चीजें खाते हैं तो बच्चा भी ऐसा ही करेगा।
- क्या घर में हमेशा हेल्दी फूड अवेलेबल रहता है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि फ्रूट, सलाद, हेल्दी स्नैक्स की जगह घर में चिप्स, बिस्किट और फास्ट फूड ही ज्यादा दिखता है?
- क्या आप बच्चे के खाने का रूटीन फिक्स किए हुए हैं या जब चाहे तब खिला देते हैं?
- क्या आप खुद बच्चे के साथ बैठकर खाना खाते हैं?
- क्या आपने कभी बच्चे से यह पूछा है कि उसे कौन सी चीजें पसंद हैं और क्यों?
- क्या बच्चे का स्क्रीन टाइम बहुत ज्यादा है और खाना खाते वक्त भी वह टीवी या मोबाइल देखता है?
- क्या खाने को लेकर आपके और परिवार के दूसरे सदस्यों के बीच मतभेद है? जैसे पापा मना करते हैं और दादी चुपके से टॉफी दे देती हैं।
- क्या आपने कभी बच्चे को हेल्दी और अनहेल्दी फूड के बारे में समझाने की कोशिश की है?
इन सवालों को पूछने का मकसद ये समझना है कि बच्चे की फूड हैबिट खराब होने की असल वजह क्या है? इन सारे सवालों के जवाब आप एक डायरी में नोट करें और देखें कि इनमें से कौन सी बातें आप पर लागू हो रही हैं। अब आप जान ही गए होंगे कि आखिर गलती कहां हुई है। तो चलिए अब इसके आधार पर बच्चे की खराब फूड हैबिट को सुधारने की कोशिश करें।
बच्चों की खराब फूड हैबिट्स में ऐसे लाएं सुधार
इसके लिए सबसे जरूरी है, बच्चों को हेल्दी फूड के फायदों और अनहेल्दी फूड के नुकसान के बारे में बताना। उन्हें यह बात आसान और रिलेटेबल उदाहरणों के जरिए समझा सकते हैं।
जैसे आप कह सकते हैं कि- ‘बेटा, जैसे तुम्हें क्रिकेट खेलने या दौड़ने के लिए ताकत चाहिए होती है, वैसे ही हमारे शरीर को भी एनर्जी की जरूरत होती है। चिप्स या कोल्ड ड्रिंक में स्वाद तो होता है, लेकिन ये चीजें तुम्हें एनर्जी नहीं देतीं, बल्कि धीरे-धीरे तुम्हारी सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके बजाय अगर तुम दाल, हरी सब्जियां और फल खाओगे तो तुम्हारा शरीर मजबूत बनेगा और खेलते समय तुम थकोगे भी नहीं।’
इस तरह बच्चों को तर्क और उदाहरणों के साथ समझाने से वे हेल्दी फूड की अहमियत को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं। बच्चों को हेल्दी फूड्स खिलाने के लिए कुछ आसान तरीके आजमा सकते हैं। जैसेकि-
- बच्चे रंग-बिरंगी और मजेदार चीजों के प्रति आकर्षित होते हैं। इसके लिए सब्जियों को रंग-बिरंगे ढंग से पेश करें। गाजर और खीरे से स्माइली फेस बनाएं या रोटी को काटकर कार्टून शेप दें।
- हरे पालक का पराठा, चुकंदर की पूरी, हल्दी वाले चावल, इस तरह के कलरफुल डिशेज बनाएं। इससे उन्हें खाना खेल जैसा लगेगा।
- आप ‘रंग ढूंढो’ गेम भी खेल सकते हैं। उनसे पूछें कि बताओ आज थाली में कितने रंग हैं?
- घर पर बेक्ड फ्राइज, ओट्स का पिज्जा या फलों की स्मूदी बनाएं। बच्चों को लगेगा कि वे टेस्टी चीजें खा रहे हैं।
- फास्ट फूड या जंक फूड को अचानक से बंद न करें। शुरुआत में हफ्ते में एक दिन ‘ट्रीट डे’ रख सकते हैं, जब वे अपनी पसंद का कुछ खा सकें। बाकी दिन हेल्दी ऑप्शंस दें।
- अगर वे चॉकलेट मांगें तो छोटा पीस दें और साथ में एक फल जोड़ दें। ऐसे धीरे-धीरे करके इसे पूरी तरह बंद कर सकते हैं।
- बच्चों को न्यूट्रिशन पर बनी किताबें या कार्टून वीडियो दिखाएं, जो ये बताती हैं कि हेल्दी खाना शरीर के लिए क्यों जरूरी है।
इसके अलावा कुछ और भी टिप्स अपना सकते हैं।

याद रखें, बदलाव रातों-रात नहीं होगा
बच्चे जंक फूड की तरफ आसानी से आकर्षित हो जाते हैं, लेकिन उनकी सेहत की जिम्मेदारी आपकी है। छोटी उम्र या टीनएज में वे यह नहीं समझ पाते कि उनके लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। इसलिए उनके टिफिन, पॉकेट मनी और बाहर खाने की आदतों पर ध्यान देना जरूरी है। याद रखें, अच्छी आदतें एक दिन में नहीं बनतीं। इसमें समय लगता है। इसलिए धैर्य बनाए रखें।

खाने का एक निश्चित टाइम फिक्स करें
खाने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करना भी बेहद जरूरी है। इससे बच्चों में एक हेल्दी रूटीन बनता है और बच्चों में जंक फूड की क्रेविंग कम होती है। साथ ही घर में जंक फूड की जगह फल और ड्राई फ्रूट्स रखें।
बच्चों पर प्रेशर न डालें
खाने को लेकर बच्चों पर बहुत ज्यादा दबाव न डालें। बार-बार ये कहना कि ‘ये खा लो वरना बीमार पड़ जाओगे‘ इससे बुरा असर पड़ता है। इसलिए खाने को एक सहज और पॉजिटिव अनुभव बनने दें। इसके अलावा कभी भी खाने की किसी से तुलना न करें। ‘देखो तुम्हारा भाई तो सब्जी खा रहा है‘ ऐसे वाक्य बच्चों में नेगेटिव इमोशंस लाते हैं।
परिवार के साथ बैठकर खाना खाएं
एक साथ परिवार के सभी लोग बैठकर खाना खाने से बच्चे को इमोशनल एक्सपीरियंस होता है। जब वे सभी को एक साथ हेल्दी खाना खाते देखते हैं तो वे भी ऐसा करते हैं। टीवी, मोबाइल बंद करके बातों और मुस्कुराहट के साथ खाना खाने की आदत डालें।
बच्चों को मीनू प्लान में शामिल करें
बच्चों को हफ्ते में एक दिन मीनू प्लान करने में शामिल करें। उन्हें कहें कि ‘चलो इस हफ्ते हम एक हेल्दी लंच प्लान करते हैं, जिसमें तुम्हारी पसंद भी होगी।‘ जब वे किसी खास फूड का चुनाव करते हैं तो उन्हें खाने में रुचि बढ़ती है। इस तरह धीरे-धीरे उनमें बदलाव आता है।
अंत में यही कहूंगी कि आपके बच्चे अभी सीखने की उम्र में हैं और आपकी समझदारी से उनकी आदतें सुधर सकती हैं। धीरे-धीरे बदलाव लाएं, उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। सबसे जरूरी बात, खुद भी वही करें जो आप उनसे चाहते हैं। इससे न सिर्फ उनकी सेहत सुधरेगी बल्कि आपका रिश्ता भी मजबूत होगा।
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