डॉ. मनमोहन सिंह, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, के अंतिम संस्कार स्थल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस पार्टी और कई वरिष्ठ नेताओं ने सरकार की तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि देश के इतिहास में किसी पूर्व प्रधानमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं हुआ है। सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और इसे “असम्मानजनक” करार दिया।
क्या है विवाद का कारण?
डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी, को निगमबोध घाट पर अंतिम विदाई दी गई। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के लिए राजकीय सम्मान और अधिक प्रतिष्ठित स्थल का चयन किया जाना चाहिए था। कांग्रेस प्रवक्ता ने इस फैसले को “न्यायसंगत प्रक्रिया का उल्लंघन” कहा है।
सुखबीर सिंह बादल का बयान
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति सम्मानजनक व्यवहार नहीं है। डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी महान उपलब्धियों के लिए पूरा सम्मान मिलना चाहिए था।”
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय प्रशासनिक कारणों और लॉजिस्टिक मुद्दों के कारण लिया गया।
मनमोहन सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके ऐतिहासिक योगदान और उनकी सादगी के लिए याद किया जाएगा। उनकी नीतियों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया। इस विवाद के बावजूद, देश भर में लोग उन्हें सम्मान और आदर के साथ याद कर रहे हैं।
राजनीतिक बहस का बढ़ता असर
इस विवाद ने राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।
Meta Description
“डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार स्थल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस और सुखबीर सिंह बादल ने सरकार पर असम्मानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। जानें पूरा मामला।”